— सुदर्शन चक्र भगवान् का नित्य अस्त्र हे —


सुदर्शन—यह सर्वाधिक शक्तिशाली अस्त्र है, यहाँ तक कि ब्रह्मास्त्र या अन्य विध्वंसक अस्त्रों से भी यह श्रेष्ठ है और इस चक्र को भगवान् ने (विष्णु या कृष्ण ने) अपने अस्त्र के रूप में स्वीकार किया था। किन्हीं-किन्हीं वैदिक ग्रंथों में कहा गया है कि अग्निदेव ने यह अस्त्र श्रीकृष्ण को प्रदान किया था, लेकिन सच्चाई तो यह है कि भगवान् इस अस्त्र को निरन्तर धारण किये रहते हैं। अग्निदेव ने यह अस्त्र श्रीकृष्ण को उसी प्रकार अर्पित किया, जिस प्रकार महाराज रुक्म ने उन्हें अपनी पुत्री रुक्मिणी प्रदान की थी। भगवान् अपने भक्तों की ऐसी भेंटें स्वीकार करते रहते हैं, यद्यपि ये उन्हीं की नित्य सम्पत्ति हैं। महाभारत के आदिपर्व में इस सुदर्शन अस्त्र का विस्तृत वर्णन मिलता है। भगवान् कृष्ण ने इसका उपयोग अपने प्रतिद्वंद्वी शिशुपाल के वध के लिये किया। उन्होंने इसी के द्वारा शाल्व का भी वध किया और कभी कभी उन्होंने चाहा था कि अर्जुन अपने शत्रुओं का संहार करने के लिये इस चक्र का प्रयोग करे (महाभारत, विराट पर्व ५६.३)।

– श्रीमद्भागवत १.९.६-७ तात्पर्य, श्रील प्रभुपाद

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